सुरों की अनवी

सुरों की अनवी

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download (1)बहुत बड़ा ऑडिटोरियम था,,, एक बैंड की लाइव परफोर्मेंस थी,, लंदन में बर्फ के बीच लोगों के आने का सिलसिला जारी था,,, गाड़ियों का शोर पार्किंग से बाहर तक सुनाई दे रहा था,,,
बस दस मिनट और लगेंगे,,, वो अच्छा करेगी तुम फिक्र मत करो,,,”  पापा ने कहा
हां वो तो है मुझे उसकी टेंशन नहीं है वो जानती है उसे क्या करना है” मां ने कहा
मां और पापा कांफिडेंट थे लेकिन अनवी का दिल जोर से धड़क रहा था,,,, अपने गिटार के स्ट्रिंग्स कसती अनवी बिलकुल शांत थी,,, हर परफोर्मेंस से पहले वो खुद को कूल रखने के लिये कुछ देर अपने गिटार के साथ अकेले रहती थी,,,,
चलो,,, टाइम हो गया”,,, एक बैंड मेंम्बर ने आकर कहा,,,
अनवी ने आंखे बंद की और एक बिग स्माइल के साथ उठ खड़ी हुई,,,,
 स्टेज का पर्दा हटा तालियों की गूंज के साथ पूरा बैंड स्टेज पर तैयार था,,, माइक के सामने अपना गिटार लिये   ने सबसे पहले बजाना शुरू किया,,, धीरे धीरे म्यूजिक हर तरफ फैल गया,,,और म्यूजिक के साथ पूरे ऑडिटोरियम में हर कोई झूम रहा था,,रॉक म्यूजिक की खासियत कह लीजिए या जुनून कोई आराम से बैठ कर इसे सुन नहीं सकता,,, साथ गाना और नाचना जरूरी हो जाता है,,,
परफोर्मेंस खत्म हुई,,, सब उठ कर बैंड को चीयर करने लगे,,, सबके मुस्कुराते चेहरों के बीच एक चेहरा मां का भी था मुस्कान उनके चेहरे पर भी थी लेकिन खुशी कही दबी हुई थी,,,
अच्छा गाया,, ना,, गुड परफोर्मेंस,, ये ग्रुप लगता है बहुत आगे जाएगा” पापा ने कहा
मां चुप थी,,, कुछ कहा नहीं,,, बस वहा खड़ी उसके आने का इंतजार कर रही थी
क्या हुआ तुम्हें आज क्यों चुप हो,, तुमने जरा भी इंजॉय नहीं किया,, अच्छा नहीं लगा क्या ?” पापा ने पूछा
ऐसा नहीं है बस मैं ये सोच रही हूं कि क्या वो हमेशा ऐसा ही म्यूजिक बनाएगी? ये वो नहीं है,,, उसे भी पता है,, फिर भी वो इसी तरह का लाउड म्यूजिक इंजॉय कर रही है,,, जबकि इससे ज्यादा अच्छा कर सकती है” मां ने कहा
मैं जानता हूं तुमने उसे अपने सारे गुर दिए हैं इंडियन क्लासिकल म्यूजिक की समझ है उसे लेकिन आजकल यही सब चल रहा है उसने बहुत अच्छे से खुद को एडजस्ट किया है जो हमने उसे नहीं सिखाया वो भी सीख कर उसे अपनी अलग पहचान बनाई है यहां रॉक म्यूजिक ही सबसे ज्यादा पापुलर है और वो इसके लिये परफेक्ट है, मुझे लगता है तुम्हें उसे छोड़ देना चाहिए जो करना चाहती है उसे करने दो” पापा ने कहा
चलो मां, पापा,, पार्टी के लिये लेट हो रहा है सब हमारा इंतजार कर रहे हैं,,,” अनवी ने कहा और वो सब वहां से निकल गये,,,
रॉक स्टार की रॉकिंग पार्टी में सबकी जुबान पर सिर्फ यही बात की कैसे एक 20 साल की लड़की लंदन की बेस्ट रॉक सिंगर बन गई. पार्टी में सब उसके आगे पीछे घूमने लगे,
अनवी को काफी सिंगिग शो के ऑफर भी मिले,, सब लोगों को वो अपनी मां के पास भेज रही थी क्योंकि वही उसके सारे शोज को मैनेज करती थी मां को लोगों से घिरा देखकर अनवी अपने पापा के पास गई और उन्हें बताया कि वो अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही है वही घर छोड़ देंगे
आकृति मैम ये भी आपसे बात करना चाहते हैं,,, इंडिया से आए है एक म्यूजिक कंपनी के मालिक है अनवी के साथ एक एलबम बनाना चाहते हैं,,,,” इवेंट मैनेजमेंट टीम के एक मेंबर ने एक कार्ड देते हुए आकृति से कहा
आभास मेहरा….ये नाम कुछ सुना हुआ सा लगता है कहां है वो यहां ले आओ” आकृति ने कहा
कुछ मिनट बाद आभास आकृति के सामने खड़ा था,,, 27 साल का एक लड़का,,, बहुत सारी एक्साइटमेंट थी उसके चेहरे पर,,,
तुम आभास,,,म्यूजिक कंपनी के मालिक,,, वाह क्या बात है” आकृति ने खुश होते हुए कहा
कैसी है आप? आभास ने आकृति के पैर छूते हुए कहा,,,
कितने साल हो गये आभास तुम तो गायब ही हो गये,,,” आकृति ने कहा
आकृति का अपना म्यूजिक स्कूल है जहां आभास भी उसका एक स्टूडेंट हुआ करता था,,, काफी सालों के बाद आज वो अनवी के बहाने आकृति से मिला,,, आभास को भी पता नही है कि अनवी उसकी गुरु आकृति की बेटी है
आपको तो सब पता है उस वक्त क्या हुआ,,, जाना तो था ही,, खैर वो सब छोड़िए मुझे नहीं पता था अनवी आपकी बेटी है,,, बहुत अलग है वो,,, उसे देखकर लगता नहीं,,,” आभास ने कहा
आकृति बस मुस्कुरा कर रह गई उसने कुछ कहा नहीं
ओह मैं भूल गया.. हम उसे एक एलबम के लिये साइन करना चाहते हैं,, ये मेरा कार्ड रख लीजिए.. उसे बोलिएगा कॉल करने के लिये मीटिंग करके बात कर लेंगे…” आभास ने कहा
अरे ऐसे कैसे तुम घर आओ वही बात कर लेंगे.. कल डिनर का प्लान कर लो अनवी घर पर ही होगी” आकृति ने कहा
मैं जरुर आता पर मुझे आज रात ही वापस दिल्ली लौटना है,,,पर वादा अगली बार लंदन आया तो घर जरुर आउंगा…” आभास ने कहा और वहां से चला गया
आभास सिर्फ दस साल का था जब म्यूजिक सीखने आया करता था आकृति के फेवरिट स्टूडेंट्स में से एक था आभास… आभास को संगीत की परख थी लेकिन उसकी जिंदगी में या तो उसके पापा रहे सकते थे या म्यूजिक… ये ऑप्शन उसके पापा ने उसे दिए थे खुद म्यूजिशियन नहीं बन सका तो म्यूजिक कंपनी खोल ली ताकि संगीत के सुरों से दूर न हो…
इंडिया की एक बड़ी नामी म्यूजिक कंपनी से अनवी को ऑफर आना उसके करियर को कहां से कहां ले जा सकता था इसका एहसास अनवी के मां पापा को था लेकिन अनवी कुछ और ही प्लान कर रही थी,,,जिसके बारे में उसने कुछ देर बाद आकर बताया…
मां…पापा मुझे इंडिया जाना है एक बहुत अच्छा ऑफर है रॉक वर्ल्ड टूर का,, वो लोग हमारे पूरे बैंड के कॉंन्सर्ट कराएंगे,,,पूरी दुनिया में हमारा म्यूजिक फैलेगा… अच्छा है न… सब जगह लोग हमें पहचानेंगे हमारे साथ गाएंगे नाचेंगे.. हम सब इंटरनेशनल स्टार बन जाएंगे… बस आपकी परमिशन चाहिए.. मुझे दिल्ली जाकर डील साइन करनी है और पूरा शेड्यूल फिक्स करना है… ”अनवी ने कहा
आकृति ने अनवी के पापा की तरफ देखा उसे लगा इस वक्त आभास के ऑफर की बात करना ठीक नहीं होगा,, अनवी के उससे कई बड़े प्लानंस है आभास का ऑफर उसके लिये कोई मायने नहीं रखता…
अनवी को उसके मां और पापा ने कभी किसी चीज को करने से रोका नहीं अगर उसे किसी काम पर भरोसा है तो वो हमेशा उसके पीछे खड़े रहे,,, इस बार भी दोनों ने यही किया,, अनवी के आत्मविश्वास को देखकर दोनों ने उसे जाने की इजाजत दे दी 
ठीक है तुम्हें सब ठीक लग रहा है तो जाओ…और कौन जा रहा है तुम्हारे साथ?”  आकृति ने पूछा
कोई नहीं मैं अकेली जाउंगी,, वो मैं सोच रही थी कब तक मैं आपको परेशान करती रहूंगी मुझे खुद सब करना चाहिए,, और मैं ये अकेले करना चाहती हूं अगर आपकी परमिशन हो तो”  अनवी ने कहा
अनवी के मासूम से चेहरे को देखकर और उसकी इतनी बड़ी बड़ी बातें सुनकर मां और पापा ने उसके जाने का सारा इंतजाम कर दिया,, सारी पैकिंग हो गई,, अनवी बहुत एक्साइटेड थी,, उसे लग रहा था जैसे उसकी लाइफ का ये पहला सबसे बड़ा काम है जिसे वो अकेले करने जा रही है
अनवी दिल्ली पहुंची लेकिन यहां सब कुछ वैसा नहीं हुआ जैसा उसने सोचा था,,, उस कंपनी ने कई शर्तें लगाकर कांर्टेक्ट बनाया था जिसे मानना उसके लिये नामुमकिन था न तो ये उसके लिये सही था और न ही उसके बैंड के लिये… कंपनी की शर्त थी कि वो इस एक टाइप का ही म्यूजिक बना सकते हैं कोई एक्सपेरिमेंट नहीं होगा,,, हर देश में जाकर वहीं बजाना होगा,,, अनवी को लगा जैसे कोई उसे बांध रहा हो,,, म्यूजिक को बांधकर कैसे रखा जा सकता है वो तो बहती हवा सा होता है…अनवी बिना कोई जवाब दिए अपने होटल वापस आ गई… होटल में आकर सोचने लगी कि वो आज कहां खड़ी है ये रास्ता क्या उसने खुद चुना है…खुद को सिर्फ रॉक म्यूजिक में बांधकर एक स्टीरियोटाइप की तरह एक ढर्रे पर चलने का… आज उसे अपना बचपन याद आ रहा था जहां मां के साथ वो गाया करती थी हर दिन उसकी मां उसे कोई नया राग सिखाती थी… तो आज क्या हुआ.. आज क्यों वो कुछ नया नहीं कर रही… निराश होकर अनवी ने मां को फोन लगाया
मां मैं वापस आ रही हूं यहां कुछ भी ठीक नहीं है.. एक काम भी आपके बिना नहीं कर पाई… अब घर लौटना है..” अनवी ने कहा
तुम फिक्र मत करो मैं कुछ करती हूं होटल में रिलेक्स करो मैं फोन करती हूं और ज्यादा टेंशन लेने की जरुरत नहीं ये सब होता रहता है” आकृति ने अनवी को समझाया
मुझे लगता है अब टाइम आ गया है उसे आभास के ऑफर के बारे में बता दो वो दिल्ली में ही है उससे मिल लेगी हो सकता है ये उसके कांफिडेंस को बढ़ा दे एक जगह से निराशा मिली तो दूसरी जगह से फिर रोशनी मिल सकती है” अनवी के पापा ने आकृति से कहा
दोनों ने तय किया और आकृति ने आभास को फोन करके अनवी ने मिलने उसके होटल भेज दिया मां की बात अनवी को कुछ ठीक लगी और उसने एक और ट्राई करने का जज्बा दिखाया..
अनवी थोड़ी उदास थी उसने पहली बार खुद से कुछ करने की सोची थी लेकिन उसकी ये कोशिश कामयाब नहीं हो पाई हालांकि गलती उसकी नहीं थी ऑफर ही ऐसा नहीं था जिसे वो स्वीकार करती. अनवी को लग रहा था कि वो अपनी मां जैसी क्यों नहीं है उनकी तरह समझदार क्यों नहीं है क्यों नहीं उसे पहले से ये पता होता है कि क्या हो सकता है आज उसे अपना बचपना खल रहा था उसके एहसास हो रहा था कि अपने संगीत को वो, वो दिशा नहीं दे पाई है जो देनी चाहिए थी अपनी सोच में डूबी अनवी को आभास का फोन आया और दोनों ने मिलने की जगह और टाइम फिक्स किया
अनवी और आभास होटल के रेस्टोरेंट में मिले…
आप बहुत अच्छा गाती हो.. आकृति मैम ने बताया कि आपको रॉक म्यूजिक में ज्यादा इंटरेस्ट है पर हमारी कपंनी कुछ अलग करना चाहती है हम इंडियन स्ट्रीट म्यूजिक पर एक एलबम बनाना चाहते हैं और मुझे लगता है आप उसके लिये परफेक्ट हो…” आभास ने अनवी को अपना पूरा ऑफर समझाते हुए कहा 
मुझे इन सबके बारे में कुछ पता नहीं है तो मैं हां कैसे कर दूं… पता नहीं ये कर पाउंगी या नहीं…” काफी कंफ्यूजन में दिख रही थी अनवी… आभास उसके इस कंफ्यूजन को समझ भी रहा था पर कहीं न कहीं उसे आकृति की झलक अनवी में दिखी थी शायद इसलिये उसने ये बात की.. कोई प्रमाण तो नहीं था पर उसे भरोसा था कि अनवी इंडियन म्यूजिक को समझेगी और जो वो सोच रहा है उसे पूरा करेगी.. आभास ने अनवी से कहा कि वो कोई भी फैसला करने से पहले उसके साथ उसके स्टूडियो आए,,, वहां सब देखने के बाद अगर उसे ठीक लगे तो वो हां करें
स्टूडियो के गेट पर बहुत खूबसूरत सरस्वती मां की मूर्ति लगी थी,, जिसे अनवी रूक कर बहुत ध्यान से देख रही थी,,,
संगीत की देवी है मां सरस्वती… इनके हाथ में ये वीणा देख रही हो इससे जो संगीत निकलता है सीधे  दिल को छूता है” आभास ने कहा
हां जानती हूं मां भी यही कहती है…”  अनवी ने मुस्कुराकर कहा
आओ ये हमारा प्रैक्टिस हॉल है यहां हर तरह के इंस्ट्रूमेंट्स हैं,, देखो,, ये सितार, बांसुरी…ढोलक…” आभास अभी बात कर ही रहा था कि पीछे से उसे गिटार की आवाज सुनाई दी… अनवी वहां रखे गिटार को लेकर बजा रही थी उसकी धुन सुनकर आभास रुक गया… आंखे बंदकर उसे सुनने लगा कुछ देर तक अपना मस्ती में अनवी गिटार के तारों से वहां की हवा में संगीत घोलती रही उसे भी एहसास नहीं था कि उसके साथ कोई और भी उसके कमरे में है,, संगीत का नशा ही कुछ ऐसा होता है जो सबकुछ भुला देता है उसकी धुन में हर तकलीफ.. हर परेशानी अपना अस्तित्व खो देती है
आभास को न जाने क्या हुआ उसका भी मन आज कुछ बजाने का कर गया,,, बचपन में उसे तबला बजाने का शौक लेकिन उसके पापा ने उसे अपने शौक को जिंदगी बनाने का मौका नहीं दिया,, पैसे के शोर में तबले की थाप मंद पड़ गई,,, उसने गुस्से में कसम खाई थी कि वो कभी कुछ नहीं बजाएगा,, आठ साल से जो गुस्सा अंदर दबा था वो आज अनवी के सुरों से नरम पड़ रहा था,,
सब कुछ भूल गया आभास और छेड़ दिया उसका वो सुर जो कही उसके अंदर बस दम तोड़ ही चुका था,,, गिटार की आवाज के साथ अब तबले की थाप भी घुल गई,,,, एक ऐसा माहौल बना जहां सिर्फ और सिर्फ पावन संगीत था….
दोनों की जुगलबंदी कमाल थी… कुछ देर बाद जब दोनों रुके तो बात करने की भी जरुरत नहीं पड़ी….बस एहसास ही काफी था….अपने अंदर के खालीपन को भरने का जरिया जब मिल जाता है तो कुछ कहने की जरुरत नहीं पड़ती… मंजिल की तलाश में निकले राही को जब वो राह मिल जाती है जो सीधे मंजिल तक ले जाती है तो वो रुकता नहीं…अनवी ने आभास के सामने ही आकृति को फोन करके बताया कि वो वापस नहीं आ रही उसे नया प्रोजेक्ट मिल गया है और आने में टाइम लगेगा… आकृति के चेहरे पर आज वो खुशी थी जिसका इंतजार उसे लंबे समय से था… अनवी को उसका लक्ष्य मिल गया था…